क्या भूत प्रेता आना कोई बीमारी है ? | Dissociative Identity Disorder (DID) | Multiple Personality Disorder


दोस्तों भूत प्रेत आना आत्मा आना क्या एक मानसिक रोग है या कुछ और तो आज हम इसी विषय में गहरी चर्चा करने वाले हैं और जानेंगे कि आखिर क्या कारण है भूत प्रेत आने के पीछे।


दोस्तों किसी इंसान का अलग-अलग प्रकार से व्यवहार करना या भूत प्रेत आना वास्तव में एक मानसिक रोग है। जिसका नाम है Dissociative Identity Disorder (DID) यह एक ऐसा मानसिक रोग है जिसमें इंसान अलग-अलग व्यक्तित्व को धारण कर लेता है। अलग-अलग आवाजों को निकालने लगता है यहां तक उसकी हैंडराइटिंग भी बदल जाती है। दोस्तों यह एक बहुत ही विचित्र किस्म का मानसिक रोग है। क्योंकि इसमें इंसान की हैंडराइटिंग तक बदल जाती है जो कि खुद में एक चौंकाने वाली बात है।


दोस्तों मानव मस्तिष्क एक ऐसी चीज है जिसको समझना खुद में एक बहुत बड़ी बात है। इसमें ऐसे-ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं जिनको जान पाना समझ पाना वास्तव में बहुत ही मुश्किल है। जब इसमें किसी वजह से किसी प्रकार का विकार उत्पन्न होता है तो वह एक मानसिक रोग धारण कर लेता है।

किसको होती है ये बीमारी

दोस्तों यह रोग इंसान को बचपन में 7 से 8 वर्ष की उम्र में होता है। जब किसी बच्चे पर अत्यधिक मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न झेलता है। तो वह इंसान के दिमाग पर एक गहरा असर छोड़ता है और यही इस बीमारी का मुख्य कारण है।


दोस्तों जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि जो छोटे बच्चे होते हैं उन्हें तंत्र मंत्र जादू टोने और फेयरी टेल्स यानी परी परियों की कहानियां सुनना बहुत ही अच्छा लगता है। वह उन में खो जाते हैं जैसा की हर एक आम बच्चे के साथ होता है। पर दोस्तों यह एक विचित्र चीज तब बनती है जब किसी बच्चे के दिमाग पर अत्यधिक दबाव या तनाव दिया जाता है। जब बच्चों को शारीरिक व मानसिक तौर पर उत्पीड़न दिया जाता है तो वह बच्चा इस तकलीफ को कम करने के लिए मल्टीपल पर्सनैलिटी को धारण कर लेता है यही कारण होता है डिसोसिएटिव आईडेंटिटी डिसऑर्डर का। दोस्तों इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पर जब भी कभी मानसिक दबाव पड़ता है या उत्पीड़न पड़ता है तो वह उम्र के किसी भी पायदान पर हो, मल्टीपल पर्सनैलिटी यानी दोहरे व्यक्तित्व को धारण कर सकता है। और जिसका फायदा यह तांत्रिक और बाबा लोग उठाते हैं, अक्सर लोग इन्हें भूत बाधा या प्रेत बाधा समझते हैं और तांत्रिकों के पास इसके समाधान के लिए जाते हैं। जिससे तांत्रिक के अजीबोगरीब तरीकों से इन पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है और समाज में अंधविश्वास का एक नया दौर चल पड़ता है।

व्यक्ति कितनी पर्सनैलिटी को धारण कर सकता है

दोस्तों इस बीमारी में इंसान केवल एक या दो पर्सनैलिटी को ही नहीं धारण करता इसमें इंसान 2 से भी अधिक पर्सनैलिटी को भी धारण कर सकता है कुछ कैसेस तो ऐसे देखने को मिले हैं, जिनमें इंसान 16-16 व्यक्तित्व को जी रहा होता है। इसमें इंसान कितने भी पर्सनैलिटी को धारण कर सकता है। 


दोस्तों जब इन पर उनका दोहरा व्यक्तित्व हावी होता है तो इन्हें खुद को नहीं याद होता है कि उन्होंने क्या किया। वो ये तो जान जातें है कि उनके साथ कुछ तो हो रहा है पर, वह यह नहीं समझ पाते कि वह दोहरे व्यक्तित्व को जी रहे हैं। पर दोस्तों कभी-कभी तो जय जिन व्यक्तित्व को जी रहे होते हैं, उनसे बातें भी करते हैं। और उन्हें पता होता है की या व्यक्ति मुझे सलाह दे रहा है या मेरी मदद कर रहा है दोस्तों इस चीज को बोला जाता है Co-Consciousness


लक्षण

मल्टीपलपर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी DID में लोगों को समय का ज्ञान नहीं होता है, उन्हें यह एहसास तक नहीं होता कि समय बीत चुका है। इसके अलावा इस बीमारी के प्रमुख लक्षण अवसाद, फोबिया, संशय में पड़ना, बैचेनी, आत्महत्या करने की इच्छा, नशे की लत आदि हैं। इसके अतिरिक्त रोगी अपनी त्वचा काट लेते हैं। उन्हें शरीर में तेज दर्द की शिकायत होती है, साथ ही ईटिंग डिसऑर्डर और सिरदर्द की समस्याएं रहती हैं।


उपचार

दोस्तों वैसे तो इस बीमारी का उपचार बहुत ही मुश्किल है और जो इतनी आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता। पर दोस्तों काफी केसेस में लोग आसानी से ठीक भी हो पाते हैं। और इंसान वापस अपनी सामान्य जीवन को जी पाते हैं।

दोस्तों इसका इलाज दो प्रकार से किया जा सकता है जिसमें से सबसे पहला है तांत्रिक के द्वारा दोस्तों इस में होता क्या है कि को व्यक्ति पर्सनैलिटी को जी रहा है, तांत्रिक उससे बात करता है और जानने की कोशिश करता है कि उसको क्या चाहिए और उसे जो चाहिए तांत्रिक उसको वह चीज दे देता है और कहता है कि ठीक है अब मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी कर दी अब इसके शरीर से निकल जाओ और फिर इंसान अपनी कॉन्शसनेस में आ जाता है पर दोस्तों यह उसका कोई परमानेंट इलाज नहीं है क्योंकि वास्तव में पेशेंट की समस्या कुछ और ही होती है। जैसे कि डिप्रेशन तनाव और एंजॉय वह इनको ठीक नहीं करते बल्कि सीधे इनकी मल्टीपल पर्सनैलिटी डिस्कनेक्ट कर देते हैं जिससे यह समस्या आगे फिर हो जाता है और दोस्तों इसका एक और इलाज है जो कि हम साइकोलॉजिस्ट के द्वारा करते हैं 

इसके इलाज के लिए कुछ थैरेपीज को दिया जाता है जिनमें से सबसे पहला होता है सीबीटी यानी कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी। 

दोस्तों इस थेरेपी में व्यक्ति के मन में क्या चल रहा है उसे जाना जाता है इससे उस व्यक्ति के इलाज में काफी सहायता मिलती है। इससे व्यक्ति के मन में जो मेन समस्या है उसको समझा जाता है। उसके बाद जो उसकी अंडर लाइन प्रॉब्लम है जैसे कि डिप्रेशन तनाव और एंजायटी उसका ट्रीटमेंट किया जाता है फिर एवर्जन थेरेपी के द्वारा उसको इस मल्टीपल पर्सनैलिटी से डिस्कनेक्ट किया जाता है। तो दोस्तों यह उसका बहुत ही दमदार और असरदार ट्रीटमेंट होता है जिससे इंसान पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है।


संदर्भ

दोस्तों अक्सर इस बीमारी को लोग भूत बाधा समझ लेते हैं क्योंकि उनके लिए यह बहुत ही नई चीज है, क्योंकि एक इंसान अलग-अलग आवाज में बात करने लगता है यानी महिला पुरुष की आवाज में भी बात कर सकती हो और बच्चों की आवाज में भी। तो जिसको लोग समझ नहीं पाते और डर जाते हैं। उनसे और साथ ही साथ वह अलग-अलग व्यक्तित्व में जीना शुरु कर देते हैं और तो और वह अलग-अलग हैंडराइटिंग में लिखने भी लगते हैं  तो यह इंसान के लिए बहुत ही नई चीज है और बहुत ही डराने वाली। लोग अक्सर समझ नहीं पाते कि यह कोई मानसिक रोग है।

विचार

दोस्ती समाज में जागरूकता की कमी है जो लोग तांत्रिक और बाबाओं के चक्कर में पढ़ते हैं और अंधविश्वास को खुद ही न्योता देते हैं। जिनसे यह तांत्रिक इनसे अच्छा खासा पैसा ठग लेते हैं और बदले में इन्हें लाभ की वजह केवल नुकसान ही नुकसान मिलता है। तो इन सब प्रकार के अंधविश्वास और पाखंड से बचें। किसी भी प्रकार का मानसिक रोग हो, अंधविश्वास और पाखंड उसे नहीं ठीक कर सकता इसके लिए आपको विज्ञान का सहारा लेना ही पड़ेगा, इसके लिए आपको साइंस की मदद लेनी ही पड़ेगी। दोस्तों इस समस्या का समाधान भी साइकोलॉजिस्ट के द्वारा हो जाता है और बहुत ही आसानी से इंसान वापस ठीक भी हो जाता है।

दोस्तों आप की जानकारी कैसे लगी है जरूर बताएं। अगर आपको कोई सवाल है तो कमेंट करके जरूर पूछें हम आपके हर सवालों के जवाब देंगे तो स्वस्थ रहें मस्त रहें नमस्कार 

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