भूत होते है या नहीं जानकर आप हैरान हो जाएंगे | वैज्ञानिक तर्क और अलग अलग मान्यताओं के पीछे का सच।
क्या भूत-प्रेत होते है या नहीं। चिकने वाला सच वैज्ञानिक दृष्टकोण के साथ।
भूत प्रेत एक ऐसी मान्यता है जो किसी एक देश या धर्म तक सीमित नहीं है अपितु यह हर जगह प्रचलित है। चाहे वह भारत हो , अमेरिका हो, ऑस्ट्रेलिया हो, या ईरान सभी जगहों में भूत-प्रेत की मान्यताएं एवं कथा कहानियां भर भर कर मौजूद हैं।
भूत का मतलब होता है जो बीत गया, ऐसा माना जाता है कि जब किसी की असमय मृत्यु कर दी जाती है या मृत्यु के समय उस व्यक्ति की कोई आखरी इच्छा रह जाती है तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती या किसी की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार उचित ढंग से ना होने के कारण भी आत्मा भटकती रहती है और वही भूत-प्रेत आत्मा कहलाती है।
अब दोस्तों इसमें भी काफी सारी चीजे है, जो व्यक्ति अच्छे कम करने वाला सबको क्षमा करने वाला होता है वह अच्छी आत्मा कहलाती है और जो व्यक्ति बुरे कर्म करने वाला होता है वा दुष्ट आत्मा बन जाती है। अच्छे काम करने वाली आत्माएं सबकी मदद करती ही और दुष्ट आत्माएं लोगों को परेशान करती है। यहां तक कहा जाता है कि यह आत्माएं किसी को भी मारने का सामर्थ्य रखती है।
किन-किन देशों में या धर्म में भूत-प्रेत की मान्यताएं प्रचलित हैं।
यदि हम देशों की बात करें तो लगभग सभी देशों में भूत-प्रेत का प्रचलन है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरह से भूत-प्रेत के बारे में कथा कहानियां प्रचलित हैं तथा अलग-अलग तरह से उनके प्रकारों को बताया गया है। अगर हम बात करें धर्मों के बारे में तो अलग-अलग धर्म में भूत-प्रेत का अलग-अलग वर्णन मिलता है।जैसे- हिन्दू धर्म के बारे में बात करें तो उसमें भूत प्रेत, पिसाच, दकीनी आदि का जिक्र मिलता है। अगर हम बात करें मुस्लिम धर्म की तो उसमें खबीस, जिन्नाद, आदि का जिक्र मिलता है। उसी प्रकार ईसाई, जैन, बौद्ध आदि सभी धर्मों में अलग अलग प्रकार के भूत-प्रेत का जिक्र है।भूत-प्रेत का शरीर पर आना वा उतरना (Exorcism)
मान्यताओं के अनुसार भूत प्रेत किसी भी मानव शरीर में प्रवेश कर सकतें है तथा अपने अनुसार उनसे कार्य भी करवा सकतें हैं। एक मनुष्य के अंदर एक से भी अधिक यानी कई आत्माएं प्रवेश कर सकती है। मान्यताओं के अनुसार जब किसी व्यक्ति में दुष्ट आत्माएं प्रवेश करती है उसके बाद वह अपने होश में नहीं रहता। दुष्ट आत्माएं अपने मर्जी के अनुसार उनसे काम करवाती है। और कई जगह तो ऐसा भी सुनने में आया है की दुष्ट आत्मा ने व्यक्तियों कि हत्या कर दी।
व्यज्ञानिक दृष्टिकोण से भूत प्रेत का सच।
व्यज्ञनिक खोजों के बाद पता चला कि असामान्य परिरस्थितियों में कई बार हमारी आंखें अलग ढंग से व्यवहार करती हैं। कम रोशनी में आंखों की रेटीनल रॉड कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं और हल्का मुड़ा हुआ सा नजारा दिखाती हैं। डॉक्टर ओकीफ के मुताबिक, "आंख की पुतली को बेहद कोने में पहुंचाकर अगर हम आखिरी छोर से कोई मूवमेंट देखें तो वह बहुत साफ नहीं दिखता है। डिटेल भी नजर नहीं आती है। सिर्फ काला और सफेद ही दिखता है। इसका मतलब साफ है कि रॉड कोशिकाएं रंग नहीं देख पा रही हैं। हो सकता है कि ऐसी परिस्थितियों में हमारा मस्तिष्क सूचना के अभाव को भरने की कोशिश करता हो। दिमाग उस सूचना को किसी तार्किक जानकारी में बदलने की कोशिश करता है। हमें ऐसा लगने लगता है जैसे हमने कुछ विचित्र देखा है। तर्क के आधार पर हमें लगता है कि शायद कोई भूत है।"
ऐसे भले ही कुछ पलों के लिए होता हो, लेकिन इसके बाद इंसान के भीतर हलचल शुरू हो जाती है। सांस तेज चलने लगती है, धड़कन तेज हो जाती है, शरीर बेहद चौकन्ना हो जाता है। कुछ लोगों को बहुत ज्यादा डर लगता है और कुछ को बहुत कम, वैज्ञानिक इसके लिए मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक जिस तरह हर व्यक्ति में भावनाओं का स्तर अलग अलग होता है, वैसा ही डर के मामले में भी होता है. ओकीफ कहते हैं, "डरावने माहौल में कुछ लोगों के मस्तिष्क में डोपोमीन का रिसाव होने लगता है, इसके चलते उन्हें मजा आने लगता है, जबकि बाकी लोग बुरी तरह डर रहे होते हैं." वैज्ञानिकों के मुताबिक बचपन में खराब अनुभवों का भी डर से सीधा संबंध है. अक्सर भूतिया कहानियां सुनने वालों या हॉरर फिल्में देखने वाले लोगों के जेहन में ऐसी यादें बस जाती हैं. और जब भी कोई असाधारण वाकया होता है, तो ये स्मृतियां कूदने लगती हैं.
जब हम कोई पुरानी जर्जर इमारत देखते हैं, जहां अंधेरा हो, आस पास कोई आबादी न हो, तो हमें भय का अहसास होने लगता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्यादातर हॉरर फिल्मों में ऐसी इमारतों को भूतिया बिल्डिंग के रूप में पेश किया गया। यह जानकारी हमारे मस्तिष्क में बैठ चुकी हैं। ऐसी इमारत देखते ही हमारा मस्तिष्क हॉरर फिल्मों की स्मृति सामने रख देता है। डर पैदा कर मस्तिष्क ये चेतावनी देता है कि इस जगह खतरा है, जान बचाने के लिए यहां से दूर जाना चाहिए. इसके बाद धड़कन तेज हो जाती है और पूरा बदन फटाक से भागने या किसी संकट का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है. यह सब कुछ बहुत ही सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक स्तर पर होता है।
ओकीफ कहते हैं कि किसी शख्स से इतना भर कह दीजिए कि यह इमारत भूतिया है तो उसके भीतर एक अजीब सी भावना फैलने लगेगी। इसके बाद उस इमारत में जो कुछ भी सामान्य ढंग से घटेगा, वो डरावना महसूस कराने लगेगा। लेकिन क्या भूत होते हैं, इसके जबाव में ओकीफ कहते हैं, "कल्पना और भूतों पर विश्वास या विचित्र परिस्थितियां, इनके संयोग से ऐसा आभास होता है कि जैसे हमारे अलावा भी कोई और है, जबकि असल में कोई और होता ही नहीं है।"
तो क्या भूत प्रत वाकई होतें हैं?
दोस्तों यदि ये सवाल पूछा जाए की भूत-प्रेत वाकई होते हैं, तो में जवाब दूंगा कि नहीं भूत-प्रेत जैसा इस संसार में कुछ भी नहीं होता। ये केवल और केवल हमारे मस्तिष्क का भ्रम होता है। जरा आप सोच कर देखें कि यदि भूत होते हैं तो एक इंसान इसमें पहले से ही एक आत्मा है, यदि उसी शरीर में दूसरी भी आत्मा आ जाए तो जो आत्मा पहले से है उसका क्या होगा? और यदि मन भी लें कि एक शरीर में दूसरी भी आत्मा आ गई तो जो पहले से आत्मा है वो इस दूसरी वाली आत्मा के सामने कमजोर कैसे पड़ सकती है जब कि दोनों ही एक एनर्जी है। ये जो दूसरी वाली आत्मा है उसके पास इतनी सकती कहां से आ जाती है, जबकि जो आत्मा पहले से है उसके पास उसमें वह सक्तिया नहीं होती, जबकि दोनों आत्माएं ही है?धार्मिक मान्यता के अनुसार भूत-प्रेत होते है या नहीं।
दोस्तों यदि हम बात करें ,धार्मिक मान्यताओं की तो श्रीमद् भागवत गीता जिसमें आत्मा तथा संपूर्ण मानव जीवन के बारे में बताया गया, पर श्रीमद् भागवत गीता में कहीं भी प्रेेत आत्माओं का जिक्र नहीं मिलता और ना ही ये कही जिक्र मिलता है कि आत्मा किसी दूसरे जीवित या मृत शरीर में प्रवेश करती है। गीता में ये जरूर जानने को मिलता है कि "आत्मा अजर अमर है, वह ना किसी कल में मरती है और ना ही किसी कल में जन्म लेती है'। "आत्मा सनातन है आत्मा बस अपना चोला बदलता है" यानी हम यूं कह सकते है कि अलग-अलग योनियों में उसका जन्म होता है। तथा गीता में ये भी लिखा है कि "आत्मा ना ही किसी को मरती है और ना आत्मा को कोई मर सकता है"। दोस्तों आत्मा एक एनर्जी है वह बस अपना फॉर्म बदलता है आत्मा कभी भी किसी मृत शरीर में प्रवेश नहीं करती और ना ही किसी जीवित शरीर में क्योंकि आत्मा यानी एनर्जी प्राकृतिक रूप से एक फॉर्म को छोड़कर दूसरे फॉर्म में कन्वर्ट हो जाती है। इसी प्रकार वेदों में भी वर्णन मिलता है, वेदों में भी कहीं किसी भूत प्रेत का जिक्र नहीं मिलता।
अब हम बात करते है कुछ अनुभावों की जो आप सब ने भूतों को लेकर कभी ना कभी किए ही होंगे जब किसी पर भूत या प्रेत आता है तो उस व्यक्ति में अत्यंत बल आ जाता है वह व्यक्ति भारी भारी चीजों को उठा देता है, कहीं पर भी चढ़ जाता है, इसी प्रकार ना जाएं कैसे-कैसे काम को करते हुए दिख जाते है जो एक साधारण व्यक्ति के लिए असम्भव है। तो जानतें है कि आखिर ये सब कैसे होता है।
दोस्तों मानव शरीर में ऐसी ऐसी शक्तियां या एनर्जी हैं जो एक साधारण व्यक्ति महसूस नहीं कर सकता। यदि हम बात करें आत्यं भारी वजन उठाने की तो हम कितना वजन उठा सकतें हैं ये हमारी शारीरिक ऊर्जा पर डिपेंड करता है और कितना भार उठाना सही है ये तय हमारा मस्तिष्क करता है। वास्ता में हर व्यक्ति अत्यंत भारी सामानों को आसानी से उठा सकता है। पर हमारे शरीर के लिए कितना वजन उठाना सही है ये हमारा मस्तिष्क निर्धारित करता ने। पर जब मस्तिष्क का ये बैलेंस बिगड़ जाता है तो व्यक्ति अपनी पूरी तहत का इस्तेमाल करने लगता है और इसका दुष्परिणाम ये पड़ता है कि जब व्यक्ति अपने होस में आता है तो उसके पूरे शरीर में अत्यंत दर्द होने लगता है और हड्डियों और मशपेसियों को काफी नुकसान पहुंचा है। जब किसी का मानसिक संतुलन बिगड़ता है यानी भूत चढ़ जाता है तो व्यक्ति अपना होश खो बैठता है और शरीर की पूरी ताकत से काम करने लगता है या सारिर का गलत मूवमेंट करने लगते है। जिससे होता ये है कि जब वो होश में आता हैं तब वह थका थका महसूस करता हैं और शरीर में दर्द आदि भी महसूस करतें हैं। इसे "सुपर स्ट्रैंथ" भी काहतें हैं।
दोस्तों भूत-प्रेत बस एक मानवीय कल्पना है या यूं कहें कि एंटरटेनमेंट का एक साधन इससे ज्यादा और कुछ नहीं
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Kya bhoot Pret Hote Hain सच-सच batao yadi Tumne Sach Nahin bataya to samajh jao Mera bhoot Mera kar kha Lega bhai Mujhe aur Tumhen Bhi Is Duniya Se. Ok😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈😈 haha
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