सदगुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी । सदगुरु जी की सच्चाई आप जानकर हैरान हो जाएंगे | About

सदगुरु जी की सच्चाई, आप हैरान हो जाएंगे- About Sadguru


सदगुरु

दोस्तो हमारा भारत एक ऐसा देश है, जहां पर अनेकों-अनेक ऋषि मुनि, संत और महापुरुष आए। समय-समय पर कई महान लोगों का जन्म हमारे भारत में हुआ। तभी तो भारत को श्रेष्ठ पुरषों का स्थान कहा गया है। भारत को जगत गुरु भी बोला गया है, क्योंकि ज्ञान प्राप्त करने के लिए लोग अलग-अलग जगहों से भारत में ही आते थें।

सदगुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी-

जग्गी वासुदेव यानी सदगुरु का जन्म 5 सितंबर 1957 में कर्नाटक राज्य के मैसूर सहर भारत में हुआ। उनका जन्म कोई जन्मजाती संत परिवार में नहीं हुआ। इनके पिता पेशे से डाक्टर थें, उनका मन बचपन से ही अध्यात्म में लगता था। वे अक्सर जंगलों में चले जाते और पेड़ की ऊंची डाली पर बैठकर हवा का आनंद लेते और अनायास ही गहरे ध्यान में चले जाते। उन्हें सर्प यानी सांप पकड़ने में भी महारत हासिल है। 11 साल की उम्र में उन्होंने योग की शिक्षा ली, आगे जाकर ये एक संत के रूप में उभर के सबके सामने आए। इन्हें वालीवुड का संत भी कहा जाता है। ये काफी डेयरिंग हैं, इन्होंने मोटरसाइकल से काफी लंबी यात्रा भी किया था।
सद्गुरु जी एक लेखक भी हैं, और वे समाज सेवक भी हैं।
उन्होंने "इशा फाउंडेशन" नाम से एक लाभरहित मानव सेवी केन्द्र की भी इस्थपना की हैं। ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है।

Sadguru jaggi vasudev vivadon, sadguru ji ki sachai
    Sadguru Jaggi Vasudev







सदगुरु जी की सच्चाई-

दोस्तों सदगुरूजी अपने कम से काफी चर्चा में रहने वाले धर्मगुरु है। पर कुछ लोगों का मानना है, की सदगुरुजी केवल दिखावा करतें हैं, क्योंकि वो Motorcycle भी चलतें है, और उनकी सारी speech, अंग्रेजी में ही होती है, बड़े बड़े bollywood stars भी सदगुरु जी के दर्शन के लिए आ चुके हैं, जैसे अमिताभ बचन, कारण जोहर रणवीर कपूर आदि, भी सदगुरू जी के दर्शन के लिए आते ही रहते है। जिस कारण से उन्हें वालीवुड का संत भी कहा जाता है। इसी लिए काफी सारे ऐसे भी लोग हैं, जो उन्हें संत मानने को भी तेयार नहीं हैं। कुछ लोगों का मानना है, कि सदगुरु केवल ढोंग और पाखंड के माध्यम से लोगों को मूर्ख बनते है, धर्म के नाम पर अपने लिए सुख सुविधा के साधनों को जुटाकर अपनी तिजोरी भरते हैं।

Sadguru jaggi vasudev ki jeevni
Sadguru isha









सदगुरु जी की सच्चाई

जितना की में सदगुरु जी के बारे में जानता हूं, में यह नहीं कह सकता कि सदगुरु एक सच्चे संत है या नहीं, क्योंकि किसी के मन में क्या है, यह जानना काफी मुश्किल है। पर्दे के पीछे कोन क्या है, ये जानना बेहद ही मुश्किल है, पर दोस्तों में यह का सकता हूं कि सदगुरु जी ने काफी सारे अच्छे कमो को किया है, जो कि सराहनीय है, जैसे नदियों के किनारों पर पेड़ लगाने का फैसला किया। जैसा की आज सभी लोग जानतें हैं, कि कई हजार पेड़ लगाए जा चुके है, उन्होंने जीवन दायिनी नदियों को बचाने के लिए कई mission चलाए हैं। जैसे तत्काल में ही कावेरी कॉलिंग मिशन के जरिए कावेरी नदी के किनारों पर कई हजार पेड़ों को भी लगाया गया है, इस मिशन में कई लोगों ने बढ़चढ़ कर योगदान दिया है। दोस्तों जो कावेरी कॉलिंग कैंपेन चल रहा है, उसमें आप भी जुड़ें और इस अच्छे काम में आप भी सहियोग दें।

‌सच्चे संत की परख 

दोस्तों, में ये तो नहीं कह सकता कि सदगुरु अच्छे संत हैं कि नहीं पर में ये जरूर कह सकता हूं कि उन्होंने काफिसरे अच्छे काम किए, जो कि कब्लिए तारीफ है। उन्होंने ऐसा काम किया है, जिससे प्रकृति को बचाने में काफी मदद मिलेगी। हम सभी को सदगुरु जी के कावेरी कॉलिंग मिशन से जुड़कर उनका समर्थन करना चाहिए, तथा सभी को प्रकृति को बचाने के लिए आगे आना होगा।

‌दोस्तों प्रकृति से हमारा जीवन है, और इस जीवन दयनी प्रकृति को हम दिन प्रतिदिन नष्ट करते जा रहें हैं। दोस्तों ये याद रहे कि "प्रकृति नहीं तो जीवन नहीं".

‌दोस्तो आपको हमारी पोस्ट कैसी लगी, अगर कोई सवाल हो तो comment करके जरूर पूछे। और हमारी पोस्ट को शेयर जरूर करें ताकी ये को महत्वपूर्ण जानकारी है, ये सबतक पहुंचे। धन्यवाद।

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टिप्पणियाँ

  1. Most of the saints of today are seen hobnobbing with the politicians, in particular with the powers that be. They need no fear of any one for they are relatively more enlightened mortals vis-a-vis other mortal humans (not human being since most lack their being). Sadguru Jaggi ji should have refrained to make any comments on the CAA to woo the mass support he has - in particular when he wasn't even aware of the constitutional provisions which contradict the present format of the CAA, and which is already challenged and is going to be heard in the near future by the hon'ble SC of India. Listen to his interview with a journalist in respect of his statement and to most of the questions he says 'he doesn't know' And when he was not well qualified to articulate a biased statement, unlike any one has a right to give their opinion in a democracy. In here he has seemingly undermined his own self-esteem for no good reasons.

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    1. सदगुरू जी को प्रणाम करता हूँ । उनके मानव कल्याणकारी कर्मकाणड एवं सबसे स्पष्ट मतवाद ही उनकी सतता व सर्वोच्च दृष्टान्त हैं । उन्हें कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए ।धन्यवाद जी - एक सेवक ।

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    2. धन्यवाद आपका कॉमेंट सबके लिए महत्वपूरण है।

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    3. हरीश साल्वे जी भारत ही नही, अंतरास्ट्रीय स्तर पर भी जाने माने वकील है। धर्म से christian है। उन्हें संविधान और कानून का अथाह ज्ञान है। इन्होंने International court of Justice में पाकिस्तान की जेल में फांसी की सजाप्राप्त भारतीय नागरिक कुलभूषण का मुकदमा लड़ा और फैसला भारत के पक्ष में करवाकर सजा पर अंतरिम रोक लगवाई और कुलभूषण को counsel access प्रदान किये जाने का फैसला ICJ से करवाया। वह citizenship कानून को अच्छी तरह समझते भी है और सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली को भी ।
      क्यो मान्य है CAB कानून उनके अनुसार

      मुख्य विरोध अनुच्छेद 14 और 15 के समानता अधिकार को लेकर था। अनुच्छेद 15 के तहत धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकों के लिए समानता की बात करता है, यानी विदेशी नागरिकों के लिए धर्म का आधार पर भेदभाव किया जा सकता है। अनुच्छेद 14 जो कानून की समानता और कानून के समक्ष समानता की बात करता है तो वहां सब के लिए समानता नही है, बल्कि दो समान लोगो मे समानता की बात की गई है।
      इस मामले में एक शोषित है और दूसरा शोषक, ऐसे में दोनों में भेदभाव करने का अधिकार संविधान देता है । इसको सकारात्मक विभेद (positive discrimination) बोलते है। तो मामला ऐसा है कि संविधान में अनुच्छेद,15,16,19,29,30 सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिए गये है, ना कि विदेशी नागरिकों को। ऐसे में संवैधानिक रूप से भारतीय नागरिक बनने के बाद ही अनुच्छेद 15 पाकिस्तान या दूसरे देश से आने वाले शरणार्थियों पर लागू होगा। पता नही क्यों ये सामान्य सी जानकारी जानते हुए भी स्वार्थी एवं तथाकथित सेक्युलर नेताओ एवं पक्षपाती वामपंथी मीडिया द्वारा लोगो को मूर्ख बनाया जा रहा है।

      नागरिकता मिलती कैसे है ?
      इसके लिए जन्म , descent (वंश), registration,(पंजीकरण) naturalisation(प्राकृतिक रूप से), incorporation of territory with GOI (क्षेत्र भारत मे शामिल हो जाये)
      ●कोई भी निवासी जो 26 नवम्बर 1949(इस तरीख को संविधान स्वीकार) को भारत मे निवासी हो, स्वतः ही भारत का नागरिक बन जाता है।

      ●अगर किसी का भारत से कोई संबंध नही है वह भारत का नागरिक कैसे बनेगा ?
      ●नैचुरलाजेशन से कितुं वह व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से भारत मे ना आया हो और 12 वर्ष तक भारत मे रहा हो निवासी के रूप में।

      संशोधित बिल में क्या है ?
      ●इसके माध्यम से सरकार 1955 के नागरिकता कानून में कुछ परिवर्तन कर रही है। इसके द्वारा 3 देशो बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक हिंदूओ, सिखों, बौध्य्, जैन, पारसी, और ईसाई को अगर बिना मान्य कागजात के भी (अर्थात अनाधिकृत रूप से) भारत मे प्रवेश करते है तो उन्हें "गैरकानूनी अप्रवासी"नही माना जायेगा। उनको पासपोर्ट प्रवेश एक्ट 1920 व विदेशी कानून 1946 के तहत डिपोर्टेशन का सामना नही करना पड़ेगा।

      जरूरत क्यों है?
      ●ये लोग अपने भारतीय मूल के प्रमाण देने में असफल है, अतः इनको नैचुरलाजेशन के तहत नागरिकता लेनी पड़ेगी। ऐसे में 12 वर्ष लगेंगे, ऐसे में सरकार संशोधन कर इस 12 वर्ष को 6 वर्ष करने जा रही है क्योंकि पिछले कानून के तहत इनको नागरिकता देना संभव नही है और उनके देशो में धार्मिक आधार पर उनका नरसंहार हो रहा है।

      विवाद क्यों है ?
      ●आलोचकों का कहना है कि धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। यह संशोधन से असम का राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण प्रभावित होगा (NRC) क्योंकि उसमे धर्म के आधार पर भेदभाव नही है। कुछ लोगो का कहना है इससे पड़ोसी देशों से हिंदुओ की भीड़ आ जायेगी। ये सच नही है। सिर्फ वर्ष 2014 तक के भारत में आये लोगो को ही नागरिकता दी जाएगी ।

      सेकुलरिज्म को खतरा
      ● लिस्ट में ईसाई, सिख, बौद्ध, और पारसी भी शामिल है, ऐसे में सेकुलरिज्म के लिए खतरा कहा से आ गया। दरसल यह बिल नरसंहार के कारण पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक लोगो को नागरिकता देने का प्रयास है, यानी सकारात्मक उद्देश्य, ना की धार्मिक आधार पर किसी की नागरिकता छिनता है। अतः अनुच्छेद 14 लागू ही नही होता है। भारतीय संविधान दो समान लोगो मे समानता की बात करता है। दो असमान लोगो मे समानता की बात नही करता है। यहा पर शोषित सभी धर्मों को शामिल किया गया है और शोषणकर्ता को शामिल नही किया गया है। ऐसे में यह संविधान के अनुकूल है। चूँकि एक्ट में कई धर्मो को सिर्फ अल्पसंख्यक आधार पर रखा गया है तो यह मामला शोषित अल्पसंख्यक को शरण देने का है। चूँकि भारत मानव अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध देश है, ऐसे में वह अपनी सीमाओं से लगे देशो में में होने वाले धार्मिक अल्पसंख्यक लोगो के नरसंहार को होते देख चुप नही रह सकता है। हमारी संस्कृति शरणागत को शरण देने की रही है, हमने अतीत में पारसियों और Zews को अपने यहां शरण दी और आजादी के बाद तिब्बतियों को भी शरण दी है।

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  2. We don't have any right to comment on anybody without experiencing him/her.

    It is not enough to know about Sadguru, one should experience him.

    One can do PhD on apple but will never be able to explain its taste. Liking or not liking the taste could be his/ her personal choice. I don't dispute that.

    Sadguru is my life...he is in me...he is everything...I have experienced him.

    Logical mind will never understand. But believe me it's not hallucination or brain washing.

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  3. सही कहा आपने ,जो कर रहे है सामा जिक दृस्टिकोड से अच्छा कर रहे है

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